कोरोना के खौफ में जब आम इंसान से लेकर जेएलएनएमसीएच अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर तक अपने चिकित्सकीय दायित्वों से विमुख हो रहे हैं। ऐसे में इसी जेएलएनएमसीएच अस्पताल में ऐसे डॉक्टर हैं जो आम इंसान की तुलना में दस गुना कोरोना से संक्रमित होने के खतरे में हैं। बावजूद वे अस्पताल में कोरोना मरीजों का बेखौफ होकर इलाज कर रहे हैं।
जेएलएनएमसीएच के मेडिसिन विभाग में कार्यरत वरीय फिजिशियन डॉ. अंजुम परवेज को ह्रदय में ब्लॉकेज था। इन्होंने दो बार ऑपरेशन कराके अपने सभी आर्टिलरी में स्टेंट ( कुल पांच स्टेंट) डलवा चुके हैं। आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार, इस तरह के लोग में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा सामान्य व्यक्ति की तुलना में दस गुना ज्यादा होता है। जबकि डॉ. परवेज की उम्र भी 60 साल होने को है। ऐसे में कोरोना से बेखौफ ये पूरी तन्मयता के साथ जेएलएनएमसीएच मायागंज अस्पताल के एमसीएच कोरोना आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं।
डॉ. परवेज बताते हैं कि डॉक्टर को अगर धरती का भगवान कहा जाता है तो हमें लोगों के इस सम्मान की रक्षा हर हाल में करनी होगी। मौजूदा परिस्थितियों में जब कोरोना से बचाव का न तो कोई टीका है और न ही संक्रमित होने के बाद इसकी दवा। ऐसे में कोरोना से संक्रमित या संदिग्ध मरीजों से हम दूरी नहीं बना सकते हैं। अगर हम चिकित्सक ही अपनी जान को बचाने के चक्कर में अपने दायित्वों से विमुख हो जायेंगे तो इसके मरीज आखिर कहां जायेंगे। इस विषम परिस्थतियों में हमें न केवल अपने हिस्से का कर्तव्य निभाना है बल्कि अपने काम की बदौलत ऐसी मिसाल बनानी होगी कि लोग चिकित्सकीय पेशे को और भी सम्मान की नजर से देख सकें।